दिल्ली:टाटा संस के चेयरमैन और मशहूर उद्योगपति रतन टाटा नहीं रहे. कुछ दिनों पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.मशहूर उद्योगपति रतन टाटा नहीं रहे. 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में बुधवार को उन्होंने अंतिम सांस ली. कुछ दिनों पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वे आईसीयू में एडिमट थे. तीन दिन पहले भी उनके निधन की खबर सामने आई थी, लेकिन बाद में उन्होंने खुद इसे खारिज कर दिया था. सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये बताया था कि वे बिल्कुल फिट और दुरुस्त हैं. उनके निधन पर राजनीति, उद्योग और फिल्मी जगत की हस्तियों ने शोक जताया.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर गहरा दुख जताया. पीएम मोदी ने लिखा, रतन टाटा एक बिजनरी बिजनेस लीडर, दयालु और असाधारण इंसान थे. उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया. उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया. अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण उन्होंने कई लोगों का प्रिय बना लिया. रतन टाटा के सबसे अनूठे पहलुओं में से एक, उन्हें बड़े सपने देखने और उसे पूरा करने का जुनून था. एजुकेशन, हेल्थ, स्वच्छता, पशु कल्याण जैसे कुछ मुद्दों का समर्थन करने में सबसे आगे थे.टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा का पूरा नाम रतन नवल टाटा था. 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में पैदा हुए रतन टाटा, नवल टाटा और सूनी कमिसारीट के बेटे थे. जब रतन टाटा 10 साल के थे, तब वे अलग हो गए थे. उसके बाद उन्हें जेएन पेटिट पारसी अनाथालय के माध्यम से उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने औपचारिक रूप से गोद ले लिया था. रतन टाटा का पालन-पोषण उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (नवल टाटा और सिमोन टाटा के बेटे) के साथ हुआ.रतन टाटा जितने मशहूर उद्योगपति थे, उतने ही दानवीर भी. उनके कार्यकाल में टाटा समूह ने रोज नई ऊंचाई को छुआ. आज चाय से लेकर जैगुआर लैंड रोवर कार और नमक बनाने से लेकर जहाज उड़ाने और होटलों का ग्रुप चलाने तक जिंदगी के विभिन्न क्षेत्रों में टाटा का जलवा नजर आता है.पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा का जीवन सबके लिए प्रेरणास्रोत रहा. वे कहते थे, मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता. मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं. शक्ति और धन मेरे दो मुख्य हित नहीं हैं.